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Blog / 30 Mar 2019

(Video) भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) चैत्य एवं विहार (Buddhist Sculpture: Chaitya and Vihara)

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(Video) भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) चैत्य एवं विहार (Buddhist Sculpture: Chaitya and Vihara)


मुख्य बिंदु:

  • एक धर्म जिसने सबकी शान्ति का न सिर्फ पाठ पढ़ाया बल्कि उस पर चलने का मार्ग भी बतलाया।
  • बौद्ध धर्म को उसके मध्यम मार्ग के लिए जाना जाता है।
  • ‘संसार दुखों से भरा है और दुख का कारण मनुष्य की इच्छाएँ है’ इस बेहतरीन कथन के साथ महात्मा बुद्ध ने दुखों के निवारण का जो रास्ता बताया उस रास्ते पर हजारों नहीं बल्कि लाखों लोग चल पड़े।
  • हम बात कर रहे हैं एक ऐसे दौर की जब बौद्ध धर्म भारत में अपनी जड़े मजबूत कर रहा था।
  • जाति, वर्ण, ऊँच, नीच, छुआ छूत से भरे इस समाज में जागरण की एक नई लौ जली थी।
  • जहाँ बौद्ध धर्म इन सारी सामाजिक बुराइयों से दूर था वहीं बुद्ध के द्वारा दिखाया गया मार्ग इन सुलझा हुआ था कि लोग आसानी से इसे समझ सकें।
  • बौद्ध धर्म ने हमेशा ही सांसारिक मोहमाया, बंधनों, व इच्छाओं के त्याग की बात की। और जो व्यक्ति बौद्ध धर्म की शिक्षा लेकर सन्यासी जीवन व्यतीत करने लगे उन्हें बौद्ध भिक्षु कहा गया।
  • इन बौद्ध भिक्षुओं का कार्य लोगों को बौद्ध धर्म के बारे में जानकारी देना व इसका प्रचार प्रसार करना था।
  • सन्यासी जीवन व्यतीत करने वाले ये भिक्षु बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिये भ्रमण करने लगे और नई-नई जगहों पर ये लोगों को उनके दुख से निजात दिलाने का मार्ग दिखलाने लगे।
  • बौद्ध भिक्षुओं के इसी विचरण व भ्रमण को विहार कहा गया।
  • विहार एक संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका उल्लेख वेदों में भी मिलता है।
  • परन्तु बौद्ध धर्म के सन्दर्भ में विहार का अर्थ न सिर्फ विचरण से है बल्कि भिक्षुओं के ठहरने के स्थान से भी है।
  • जब भी ये बौद्ध भिक्षु किसी इलाके से गुजरते तो वहाँ स्थित प्राकृतिक बसेरों को अपने रहने के लिए प्रयोग में लाते।
  • इन प्राकृतिक बसेरों में प्राचीन गुफाएँ, कन्दराएँ, बड़े-बड़े पेड़ों की छाँव व कभी-कभी घास फूस से बनाई गई अस्थाई झोपडि़याँ भी होती थी।
  • मौर्य शासनकाल में अशोक ने बौद्ध धर्म को विशेष संरक्षण प्रदान किया और कई सारी गुफाएँ भिक्षुओं को दान में दे दीं।
  • जिसके बाद इन गुफाओं का प्रयोग भिझुओं द्वारा स्थाई रूप् में किया जाने लगा और भिक्षुओं ने इन्हें धार्मिक कार्यों में प्रयोग करना शुरू कर दिया।
  • भिक्षुओं द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली ये गुफाएं धीरे-2 आस्था के एक बड़े केन्द्र के रूप् में उन जिन्हें तराशकर चैत्य की संज्ञा दी गई।
  • चैत्य बौद्धों के लिए पूजा अर्चना करने का स्थान था।
  • जहाँ विहार में भिक्षुओं के निवास के लिए प्रबन्ध था वहीं चैत्य का प्रयोग भिक्षु ध्यान लगाने के लिए करते थे।
  • चैत्य एक तरह का हॉल होता था जिसमें कई सारे भिक्षु व साधक अपने आराध्य बुद्ध की उपासना करते थे।
  • Meditation और ध्यान केन्द्रित करने के लिए एक शान्त वातावरण की आवश्यकता होती है इसीलिये अधिकतर चैत्य गुफाएँ मानव बस्तिओं से दूर बसाई गई थी।
  • उत्तर मौर्य काल में इन चैत्यों की दीवारों पर बेहतरीन कारीगरी व नक्काशी का भी प्रदर्शन किया गया और बुद्ध की गई प्रतिमाओं की दीवारों पर उकेरा गया।
  • कहा जाता है कि भारत के सबसे पुराने राज्यों में से एक विहार को उकस नाम बौद्ध धर्म के विहार से ही मिला।
  • विहार क्षेत्र में बौद्ध धर्म के सबसे अधिक चैत्य मौजूद थे और एक समय यह क्षेत्र बौद्ध धर्म का केन्द्र भी माना जाता था।
  • समय के साथ ये चैत्य गुफाएँ व विहार क्षतिग्रस्त हो गये और इनमें से अधिकतर के अब अवशेष ही बचे हैं।
  • परन्तु इनमें से कुछ आज भी सही सलामत स्थिति में है जिनमें सबसे प्रमुख है कार्ले का विशाल चैत्य हॉल।
  • महाराष्ट्र के लोनावाला से महज 10 किलो- मी- की दूरी पर स्थित चैत्य हॉल एकमात्र ऐसा हाल है जो बेहरत स्थित में बचा है।
  • अपनी बेहतरीन Architectural Quality के लिए प्रसिद्ध यह चैत्य हाल Basaltic चट्टानों को काटकर बनाया गया है।
  • इतिहासकार बताते हैं कि कुछ व्यापारियों व सातवाहन शासकों ने इसके निर्माण के लिए अनुदान दिया था।
  • इस गुफा को बौद्ध धर्म के महासंधिका Sect से जोड़कर देखा जाता है।
  • सहयाद्री पहाडि़यों पर बने इस विहार में कई सारी गुफाएँ हैं जिसमें सबसे प्रमुख है Great Chaitya Cave no. 8.
  • इस गुफा में एक बौद्ध स्तूप भी है जिसके सामने एक विशाल हॉल का निर्माण किया गया है।
  • हॉल के दोनों तरफर 15-15 खम्बे हैं जो अष्टभुजीय या Octagonal Shape में है।
  • गुफाओं में मंदिर बनाने की यह परंपरा जो बौद्ध धर्म से शुरू हुई, बाद में और भी विस्तृत होती चली गई।
  • फिर चाहे वह आजीवक धर्म रहा हो या फिर जैन या हिन्दू हर धर्म में गुफाओं को तराशकर मंदिर बनाये गये।
  • महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित अंजता और एलोरा की गुफाएँ इसके जीते जागते उदाहरण हैं। जिन्हें UNESCO ने अपनी World Heritage Site में शामिल किया है।
  • एक समय आस्था के प्रमुख केन्द्र रही ये गुफाएँ आज न सिर्फ आस्था बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी बहुत प्रसिद्ध हैं। और विश्व भर के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।